नागपत्री एक रहस्य(सीजन-2)-पार्ट-28

बहन तुम्हारे अत्यंत प्रयास के बाद भी तुम उन्हें ढूंढ ना पाई। तब यह कैसे सुनिश्चित हो सकता है, कि जलाशय के सूख जाने के बाद भी वह तुम्हें सही उत्तर देगा?? यह मायावी सरोवर है जिसे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला!  लेकिन फिर भी मैं इसका तोड़ जानता हूं, क्योंकि मेरा अक्सर यहां आना-जाना लगा रहता है। यदि तुम चाहो तो मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूं। हां अब तुम ही मेरी मदद कर सकते हों।

लेकिन क्या एक बार तुमने प्रार्थना स्वरूप जलाशय से पुकार की, क्योंकि यदि इतने बड़े बवंडर को इसने अपने अंदर समाहित कर लिया है। तब निश्चित तौर पर यह कहा जा सकता है कि यह अवश्य ही कोई चमत्कारी शक्ति के अधीन या संरक्षण थे। यदि तुम कहो तो मैं तुम्हारी तरफ से इस सरोवर के मालिक को पुकार सकता हूं,,, शायद तुम्हें मदद मिले।

वह छोटा बालक लक्षणा के सामने पूरी दृढ़ता और विश्वास के साथ अपने पक्ष को रखकर लक्षणा की ओर देखने लगा। लक्षणा इतना तो समझ चुकी थी, कि ना तो यह सरोवर सामान्य है, और ना ही यह बालक।

यदि ऐसा है और कदंभ जैसे शक्तिशाली अश्व को अपने भीतर धारण किए हुए,, इसका आशय साफ है कि किसी भी शक्ति का प्रभाव इन दोनों पर ही होना असंभव है। तब वह विनम्र होकर बालक से कहने लगी। आप जो भी हो सामान्य नहीं हो।अभी मुझे आपकी मदद की पूर्ण आवश्यकता है। कृपया सहायता करें। किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए कदंभ का मेरे साथ होना अनिवार्य है।

तब वह बालक गंभीर होकर लक्षणा से कहने लगा,,, कदंभ ही क्यों?? यदि तुम कहो तो मैं अश्व श्रेष्ठ उच्चश्रवा तुम्हें दिला सकता हूं, यदि सरोवर बात ना माने तो,,,,! एक बार प्रयास तो करो। रुको मैं पुकारता हूं, कहते हुए वह बालक सरोवर की ओर देख पुकारने लगा है। हे विशाल सरोवर के मालिक..... हे विशाल सरोवर,,,,,, आपको प्रणाम!

मैं साधारण सा बालक किसी विशेष की उद्देश्य की पूर्ति हेतु आपको पुकारता हूं। कृपया हमारी मदद करें। मेरी मुंहबोली बहन अत्यंत विचलित है। कृपया इनकी मदद करें। दर्शन दे.... कृपया दर्शन दे।

इतना कहते ही अचानक सरोवर में हलचल हुई और उसके मध्य से एक नारी स्वरूप प्रकट हुई। वह लक्षणा और उस बालक की ओर देख कहने लगी। मेरे तट पर आए अतिथि आप दोनों का स्वागत है। लेकिन आखिर मुझे पुकारने का क्या कारण है?? यह सरोवर मेरा पीड़ा स्थल है। आखिर क्यों इसे सुखाने का प्रयास करने का विचार कर संकल्पित होने का मन बनाया जा रहा था?? क्या मैं इसका कारण जान सकती हूं??

कहो लक्षणा,,,, यह कहां तक उचित है, कि बिना सोचे समझे शक्तियों का उपयोग किया जाए। तब लक्षणा सावधान हो, कहने लगी,,,, हे देवी आपको मेरा प्रणाम! हे देवी प्राण रक्षा के लिए शक्तियों का उपयोग कैसे वयर्थ हुआ?? प्राण रक्षा,,,,! आखिर किससे?? और किसकी??

यहां पर किसी के भी प्राण दांव पर नहीं लगाए गए। बवंडर कभी भी , किसी भी वस्तु को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचा देता है। उसके लिए जीवित और निर्जीव वस्तु दोनों ही एक समान है। मूल्यवान और मूल्यवान की परख उसे नहीं हो सकता है। वह किसी और दिशा में लेकर उन्हें चला गया हो।

या यह भी तो हो सकता है, कि कदंभ की शक्ति से और अधिक शक्तिशाली होकर वह सब कुछ किसी और लोक में उडा कर ले गया हो। और बिना इस बात का विचार किये कि, आखिर तुम इस जलाशय में रहने वाले जीव जंतुओं पर इसे सुखाकर कौन सा बड़ा उपकार कर रही थी। यह तो बताओं क्या इसमें तुम्हें उन जीवो के प्राणों का भय नहीं दिखा??क्या जलाशय के सूख जाने पर उनका जीवन रहना संभव था?? फिर आखिर क्यों शक्तिशाली होने का आशय यह तो नहीं कि सिर्फ अपने प्रियजनों को ही जीवित या प्राणरहित समझा जाए और बाकी किसी को कभी कोई मूल्य ना आंका जाए।

यह सुनते ही लक्षणा को अपनी भूल का अहसास हुआ। और वह प्रायश्चित के तौर पर हाथ जोड़ उस देवी के सामने क्षमा प्रार्थना की मुद्रा में कहने लगी है। हे देवी आपका कथन सत्य है। मुझे क्षमा करें। यह सत्य है कि कदंभ के मोह ने मुझसे सोचने समझने की शक्ति छीन ली थी। इसलिए मुझसे यह अपराध हुआ। कृपया मुझे क्षमा करें।  मुझे मेरा मित्र कदंभ को लौटा दे।

तब सामान्य हो, वह देवी कहने लगी। लक्षणा वह बवंडर किसी भी बात यूं ही नहीं मानता। जब तक उसे बदले में कुछ और ना दिया जाए। कहो क्या तुम उसे यदि वह कह तो उसे कुछ दे सकती हो । तब मैं बवंडर को पुकारू,,,,,,!

लक्षणा एक उम्मीद भरी निगाहों से उनकी और देख कहने लगी। यदि मेरे लिए संभव हुआ तो मैं अवश्य ही उन्हें वह दूंगी। जो सबके हित में होगा। इतना सुनते ही वह बवंडर अचानक प्रकट हो गया। अब तक वह अपने भीतर असंख्य पशु पक्षियों, अनेकों जीव जंतु, कीट पतंग इत्यादि सबको समा चुका था। और अभी भी कदंभ उसे प्रयास करते हुए उसके केंद्र बिंदु पर नजर आ रहा था। जिसे देखकर लक्षणा के आंखों से आंसू आने लगे।

लक्षणा कहने लगी, मैं तैयार हूं। कहो क्या चाहिए मुझसे?? और भला मैं क्या दे सकती हूं?? तब वह देवी कहने लगी,,,इस सरोवर के कहे अनुसार तुम दो में से किसी एक को ही आजाद कर सकती हों ।एक तो यह असंख्य कीट पतंगे, पशु पक्षी इसके भीतर है, या फिर तुम्हरा मित्र कदंभ।

कहो लक्षणा,,,, तुम पहले किसे आजाद करना चाहोगी। लेकिन इसके बदले में तुम्हें कुछ विशेष कीमत चुकानी होगी, कहते हुए उस देवी ने लक्षणा की और देखा। और इससे पहले की लक्षणा कुछ जवाब दे पाती,  वह देवी बवंडर की और देख ऐसा लगा जैसे उससे बात कर अपनी बात को निरंतर रखते हुए कहने लगी......

लक्षणा पर बवंडर तुम्हारी उस शक्ति को चाहता है, अर्थात वह नागमणि जिसके प्रभाव से तुमने अभी थोड़ी ही समय पहले मछली बनकर इस सरोवर में तलाश किया। क्या तुम देने को तैयार हो?? और बदले में तुम्हें क्या चाहिए?? यह भी बताओ??

लक्षणा उस बवंडर की ओर देखने लगी, जिसमें कदंभ तो परेशान था ही, लेकिन असंख्य पशु पक्षी और कीट पतंगे,,, लगभग अपने प्राण गंवाने की स्थिति में थे । लक्षणा असमंजस में थी, कि आखिर वह करें तो क्या करें?? एक तरफ उसका मित्र कदंभ और दूसरी तरफ इतने पशु पक्षियों के प्राण।

क्रमशः....

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